Sunday, January 16, 2011

दांतों का जादूगर...



 एक सजा हुआ माहौल, घेरा बनाकर कुछ समझने और हा-हा, ही-ही के साथ एक दुसरे से वाकिफ होते हुए कुछ घुसते तो कुछ बाहर निकलते लोग।
पीपल की छांव और उसके नीचे का आंगन माहौल के बनने से पहले रच दिया गया है। एक महत्वपूर्ण मेसेज सुनाने के लिए महफिल की इस फुस-फुसाहट के बीच, लाउड स्पीकर पर चीखती आवाज़ें...
पोशाक का एक जैसा रंग होने की वजह से ये अनुमान लगाना आसान हो गया था कि वो 5 लोग हैं, संतरी रंग के कुरते और धोती, सर पर राजस्थानी पगड़ी और पेड के तने से बन्धा एक बड़ा लाउड स्पीकर।

हाथ में माइक लिये वो समझाने की विधी को एक बार फिर दोहराता हुआ बोला, सबकी आँखे उस आकर्षक माहौल मे खोई हुई थीं और कान अपनी ही फुस-फुसाहट में, क्योंकि घेरे के बीच सुनने-सुनाने के अलावा भी कुछ चल रहा था- जिसे लोग प्यार से कहते है मज़े लेना।
अपनी बात रखने के लिए हमेशा सुनने वालों की उम्मीद एक पक्की गाठ की तरह होती है और उसी उम्मीद को आकर्षक रूप से रखा गया माहौल के बीच।
अपनी बात कहने का मकसद था कि हम पर और हमारे चमत्कारी बाबा पर विशवास को करो।
हमारे चमत्कारी बाबा जिन्होने सालों जंगलों में बिताए, कई तरह की बिमारियों का हल निकाला, उन जड़ी-बूटियों को ढ़ूंढा जिससे कई प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं।
और हम यहां सिर्फ इसलिए ही आए हैं कि आम लोगों को भी इस दावा से लाभ हो। हमारे पास कई प्रकार की दवाएँ मिलती हैं लेकिन इस बार हम एक परेशानी से मुक्ती पाने का समाधान लाए हैं।
अब हम आपको एक जादू दिखाएंगे।

उनमें से एक आदमी उठा और कुर्ते की जेब से एक क्रीम का पाउच निकाला, दूसरी जेब से पजामे का एक सफेद नाड़ा निकाला, नाड़े को नीली स्याही में डुबोया- सबकी आँखों के पास से घुमाते-घुमाते उसने घेरे के हर एक नज़दीकी बन्दे को ये जताया कि ये सफेद नाड़ा अब नीला हो चुका है और बताया- हम सब जानते हैं कि टी.वी में इस क्रीम को लेकर किस-किस तहर के वादे किये जाते हैं, कहा जाता है कि "चहरे पर लगाओ रंगत पाओ"
अब हम इस क्रीम को इस नीले नाड़े पर लगाकर आजमाते हैं कि इस क्रीम के वादे कितने सच्चे हैं।
दोनों हाथों में मसली हुई क्रीम को बा-काएदा दिखाया गया और बताया गया कि अब देखते हैं कि ये कितनी असरदार है नाड़े को हाथों में लगी क्रीम के साथ मसला गया, अच्छी तरह से मसलने के बाद उस नाड़े को दिखाया गया - वो कहीं से नीला और कहीं से क्रीम कलर का हो चुका है।

उनमे से एक आदमी और उठा, शायद आगे समझाने का काम उसका है- तेश में आकर माइक हाथों से अपने हाथ में लेते हुए बोला - ये तो एक नाड़ा भी नही चमका सकती चमड़ी तो फिर भी चमड़ी है ( अपने चहरे की चमड़ी को पकड़ कर खींचते हुए, चहरे के भाव एसे जैसे कह रहा हो कि इस क्रीम पर तो हँसी आनी चाहिए )
अब हम दिखाते हैं आपको अपनी जड़ी-बूटियों का जादू।

कुर्ते की जेब से फिर एक बार सफेद नाड़ा निकाला गया, उसे भी नीली स्याही में डुबोया गया। पास बैठे अपने ही बुजुर्ग साथी के घुटने के नीचे दबी अटेची को खोला गया उसमें से एक छोटी शीशी निकाली, जिसमें सफेद रंग का पाउडर है। फिर एक बार नीले नाड़े की नुमाइश की गई और उसे भी मसला गया पर इस बार क्रीम में नही उस सफेद पाउडर में, मसलने के बाद इस बार नाड़ा हर तरह से सफेद हो चुका था, बिल्कुल सफेद।
ये है सच और झूट का खेल।
शायद ये खेल दिखाने वाला भी जानता होगा कि क्रीम और पाउडर में क्या फर्क होता है?
लेकिन इस वक्त फर्क माइने नही रखता क्योंकि ये जादू है और जादू में फर्क करना आपका काम है उसका काम है तो बस उस फर्क को छुपाना।

ये जादू दातों के जड़ी-बूटी पाउडर के सोजन्य से दिखाया जा रहा है। जिससे की दाँतों की चमक और मसूड़ो में जान बनी रहती ( पाइरियाँ से राहत )
वो यकीन दिला चुके है कि वादे कुछ नही होते, होती है तो बस हकीकत, जो इस वक्त आपकी आँखों के सामने है लेकिन दिखावे और हकीकत के बीच जिस पर्दे का सहारा लेकर वो खेल रहा है, शायद ही कोई उसे धोकेबाज़ कहे। क्योंकि वो तो जादूगर है- काले को सफेद बताकर यकीन दिलाना उसका काम है और समझना या ना समझना पब्लिक का काम है
जो उसे समझा उसने उसके हाथ में एक दांत साफ करने की बोतल पकड़ाई और 20 रूपये ले लिए जो उके जादू को समझा वो हँसके कट लिया उस माहौल से।


saifu.


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