Thursday, March 3, 2011

नया नज़रिया

मेरी गली मैंन चौराहे के पास है।
हमारी गली मे बहुत सारे लोग रहते हैं जिनमे से किसी के बच्चे स्कूल जाते हैं तो किसी के बच्चे पूरे दिन गली मे ही शेतानी देते फिरते हैं तो किसी के बच्चे किसी न किसी दुकान पर अपने और अपने परिवार का पाल-पोषण करने के लिए काम कर रहे हैं।
लेकिन जो मजदूरी कर रहे हैं उनका भी पढ़ने का मन होता है या नही ये तो मैं नही जानता बल्कि इतना जरूर कह सकता हूँ कि उन्हें भी पढ़ना चाहिए।

हमारी गली मे आए दिन साफ-सफाई और गंदगी के चर्चे होते रहते हैं   कोई अपनी नाली के बारे मे बताता है तो कोई अपने घर के आगे लगे कूड़े के ढेर को लेकर चिंतित है, कोई कहता है कि मैं अपने घर के आगे की नाली मे गंदगी नही होने दूंगा- ये तो ठीक है कि गन्दगी नही होने दोगे, तो इसका मतलब ये नही कि हर बात को लड़ाई से ही निपटाया जाऐ- इस बात को प्यार से भी तो समझाया जा सकता है।
हमारी गली मैंन बाज़ार से मिलती है आने जाने का कोई और रास्ता नही है सड़क पर गाडियां, साइकल चलते रहते है जिससे कि हमारी गली मे कभी शांति का माहौल नही बन पाता।
हमारी गली मे मुझे अकसर ये एहसास होता है कि हम एक-दूसरे के बीच अमीर-गरीब का फर्क नही रखते, क्योंकि हम सभी कभी-कभी गली मे कई तरह के खेल भी खेलते हैं और ईद हो या दिपावली सब मिलकर मनाते है।


जावेद 

Thursday, February 10, 2011

शब्द और सोच


दुश्मन : कोई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है जो मांजूरे खुदा होता है।
दुश्मन वो होता है जो हमे हमेशा दुख: देने की सोचता रहता है। भले ही दुश्मन कितना ही कमज़ोर क्यो ना हो लेकिन हमे उसे कमज़ोर नही समझना चाहिए, क्योंकि चीटी को हम कितना ही छोटा और कमज़ोर समझे लेकिन व‌क़्त आने पर वो भी हाथी को पछाड़ सकती है। और सबसे बड़ी बात तो ये है कि हम जितना सामने वाले का बुरा सोचेंगे उतना ही हमारे साथ बुरा होगा।

दोस्त : दोस्त वही होता है जो मुसिबत के वक़्त दोस्त के काम आए, अकसर लोग दोस्त बना तो लेते है लेकिन दोस्त का मतलब नही समझ पाते, दोस्ती का मतलब है- सिर्फ खुशी मे ही शरीक ना होना, उसके दुख-दर्द मे उसका साथ देना, अच्छे-बुरे की सलाह देना और दोस्त को समझना।
अगर आपकी अपने बेस्ट फ्रेन्ड से लड़ाई हो जाए और आप उससे बोलना छोड़ दें तो आप बेस्ट फ्रेंड नही हो अगर आप सच्चे और पक्के मित्र हो तो अपनी गलती ना होते हुए भी उससे माफी मांग लो और बात करना शुरू करो आज नही तो कल उसे अपनी गलती का एहसास हो ही जाएगा कि वो कहा गलत था और आप कहा सही।

मुश्किल : हमारे सामने चाहे कितनी ही बड़ी मुश्किल क्यो ना आ जाए, हमे निराश नही होना चाहिए क्योंकि मुश्किलों का जीवन मे आना-जाना लगा ही रहता है इसलिए हमे उसके साथ और उसके विरुद्ध जीना सीख लेना चाहिए।
हमे कभी मुश्किल घड़ी मे हार नही माननी चाहिए, जितना हम निराशा का शिकार होंगे उतना ही मुश्किल बढ़ती जाएगी इसलिए उसका डरकर नही डटकर सामना करना ज़रूरी है।

प्रयास : अगर हम किसी भी काम मे असफल हो जाए तो हमे हिम्मत नही हारनी चाहिए, हमे फिर से प्रयास करना चाहिए चाहे हमे कितना भी असफलता का सामना करना पड़े, हमे उससे जूझने के जरिए और तरीके ढूढते रहना चाहिए और इसी नीती से हम एक--एक दिन कामयाब हो ही जाएंगे। क्योंकि कुछ मौके देर से आते हैं लेकिन दुरुस्त आते हैं।

बीमारी : एक बार बीमारी ने दौलत से कहा :- तुम कितनी खुश-नसीब हो कि तुम्हे पाकर लोग ऐशो-आराम से जिन्दगी बिताते हैं और मैं कितनी बद-नसीब हूं कि मुझे पाते ही लोग एक ही चारपाई पर पड़े रहते है, कोसते हैं, गालियाँ देते हैं।
ये सुन कर दौलत ने बीमारी से कहा :- खुश-नसीब तो तुम हो कि लोग तुम्हे पाकर खुदा को याद कर लेते हैं। और बद-नसीब तो मैं हूं कि मुझे पाकर लोग खुदा को भूल जाते हैं।


Parvez Saifi

Wednesday, February 2, 2011

मेला


हमारे देश में मेलों का विशेष महत्व है, मेलों के द्धारा मनुष्य अपने मन में प्रसन्ता का अनुभव करता है।
उत्तर प्रदेश में भी अनेक मेले लगते हैं- बूढ़े बाबू का मेला, गंगा मेला और नोचंदी का मेला आदि
इसमे गंगा स्नान का मेला सबसे महत्वपूर्ण है और गढ़ मुक्तेश्वर का मेला उत्तर प्रदेश का प्रमुख मेला है जो गाज़ियाबाद ज़िले मे लगता है ये मेला कार्तिक मास कि पूर्णिमा के दिन लगता है।

मेले का बाज़ार भी बड़ा लम्बा-चोड़ा लगा होता है जिसमे हलवाई और चाय वालों की दुकानों पर काफी भीड़ रहती है, कम्बल-दरी आदि भी बिक रहे होते हैं और मनोरंजन के साधन भी उप्लब्ध होते हैं।
रेडियो, लाउड-स्पीकर की ध्वनी भी मेले की रोनक बड़ा रही होती है। सबके चहरों पर खुशी ही खुशी नज़र आती है।
वहां जादूगर मेले मे अपना जादू दिखाता है, जहा बहुत सारे लोगों की भीड़ लगी होती है।

मेले मे लोग सर्कस देखते हैं और मेले में आसमानी चरख भी लगा हुआ होता है जिसमें सभी लोग झूलते हैं।
मेले में एक तरफ खिलोनों की दुकाने लगी होती है और दूसरी तरफ मनोरंजन के साधन, सभी बच्चे खिलोनों की दुकान से खिलोने खरीदते दिखाई देते है एसा लगता है जैसे आज सब घरों के बच्चे मिलकर कोई खेल, खेल रहे हों। 


चरन सिंह .

Wednesday, January 26, 2011

पहचान

गली से गुज़रते वक़्त किन-किन चीज़ों को हम अपनी जगह की 
पहचान बना लेते हैं ?

: किसी का पुराना घर
: रोज़ाना एक ही जगह खड़ी हुई साईकल
: घर के पास बने मंदिर-मस्जिद
: चौखट या बैठक
: पर्चून की दुकान
: बेनर या पोस्टर
: कूड़े का ढ़ेर


घर की पहचान :- मेरे घर के सामने एक मस्जिद है और उसके पास ही मन्दिर भी है जिससे लोग हमारे घर की पहचान करते है। जब हम छोटे थे और घर से थोड़ी दूर निकल जाया करते थे तो हम अपने घर की पहचान अपने घर के सामने बनी मस्जिद से कराते थे जिसके बराबर मे ही एक मन्दिर भी है।

स्कूल की पहचान :- हमारे स्कूल की पहचान ये है कि जब मैं अपने स्कूल जाती हूँ तो मुझे रास्ते में एक मछली की दुकान से होकर गुज़रना पड़ता है जहाँ पर बहुत बदबू आती है, तब स्कूल बहुत पास लगता है, वहाँ आते ही हम अपने कदम तेज़ कर लेते है। और थोड़ी दूर चलते ही स्कूल के पास बने मन्दिर को देखकर हम समझ जाते हैं कि  अब हमारा स्कूल आ गया।



Group Discussion 

Sunday, January 16, 2011

कम्बख्त वक्त.


कम्बख्त वक्त नज़ारे को बदल देता है।

शांत धरती को शौर-गुल मे बदल देता है।
काले बदलों को बरसात मे बदल देता है।
कम्बख्त वक्त नज़ारे को बदल देता है।

किसी आदमी की शोहरत को बर्बादी मे बदल देता है।
ठीक-ठाक आदमी को बिमारी मे बदल देता है।
किसी की इमानदारी को बईमानी मे बदल देता है।
इंसान की वफादारी को गद्दारी में बदल देता है।
कम्बख्त वक्त नज़ारे को बदल देता है।

हंसते हुए चहरे को मायूसी मे बदल देता है।
किसी की दोस्ती को दुश्मनागी मे बदल देता है।
खूबसुरत आँखों को आसुओं से भर देता है।
कम्बख्त वक्त नज़ारे को बदल देता है।

गली-मौहल्लों को खोफनाक जगह मे बदल देता है।
तेज़ हवाओं को आंधी मे बदल देता है।
गर्मी के मौसम को सर्दी मे बदल देता है।
जीते-जागते इंसान को मौत मे बदल देता है।
कम्बख्त वक्त नज़ारे को बदल देता है।

ये सिर्फ मैं नही कहता, इस जहां का कतरा-कतरा कहता है।
कि कम्बख्त वक्त नज़ारे को बदल देता है।

raajneet.