Wednesday, February 2, 2011

मेला


हमारे देश में मेलों का विशेष महत्व है, मेलों के द्धारा मनुष्य अपने मन में प्रसन्ता का अनुभव करता है।
उत्तर प्रदेश में भी अनेक मेले लगते हैं- बूढ़े बाबू का मेला, गंगा मेला और नोचंदी का मेला आदि
इसमे गंगा स्नान का मेला सबसे महत्वपूर्ण है और गढ़ मुक्तेश्वर का मेला उत्तर प्रदेश का प्रमुख मेला है जो गाज़ियाबाद ज़िले मे लगता है ये मेला कार्तिक मास कि पूर्णिमा के दिन लगता है।

मेले का बाज़ार भी बड़ा लम्बा-चोड़ा लगा होता है जिसमे हलवाई और चाय वालों की दुकानों पर काफी भीड़ रहती है, कम्बल-दरी आदि भी बिक रहे होते हैं और मनोरंजन के साधन भी उप्लब्ध होते हैं।
रेडियो, लाउड-स्पीकर की ध्वनी भी मेले की रोनक बड़ा रही होती है। सबके चहरों पर खुशी ही खुशी नज़र आती है।
वहां जादूगर मेले मे अपना जादू दिखाता है, जहा बहुत सारे लोगों की भीड़ लगी होती है।

मेले मे लोग सर्कस देखते हैं और मेले में आसमानी चरख भी लगा हुआ होता है जिसमें सभी लोग झूलते हैं।
मेले में एक तरफ खिलोनों की दुकाने लगी होती है और दूसरी तरफ मनोरंजन के साधन, सभी बच्चे खिलोनों की दुकान से खिलोने खरीदते दिखाई देते है एसा लगता है जैसे आज सब घरों के बच्चे मिलकर कोई खेल, खेल रहे हों। 


चरन सिंह .

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