Tuesday, February 22, 2011
Saturday, February 19, 2011
Thursday, February 10, 2011
शब्द और सोच
दुश्मन : कोई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है जो मांजूरे खुदा होता है।
दुश्मन वो होता है जो हमे हमेशा दुख: देने की सोचता रहता है। भले ही दुश्मन कितना ही कमज़ोर क्यो ना हो लेकिन हमे उसे कमज़ोर नही समझना चाहिए, क्योंकि चीटी को हम कितना ही छोटा और कमज़ोर समझे लेकिन वक़्त आने पर वो भी हाथी को पछाड़ सकती है। और सबसे बड़ी बात तो ये है कि हम जितना सामने वाले का बुरा सोचेंगे उतना ही हमारे साथ बुरा होगा।
दोस्त : दोस्त वही होता है जो मुसिबत के वक़्त दोस्त के काम आए, अकसर लोग दोस्त बना तो लेते है लेकिन दोस्त का मतलब नही समझ पाते, दोस्ती का मतलब है- सिर्फ खुशी मे ही शरीक ना होना, उसके दुख-दर्द मे उसका साथ देना, अच्छे-बुरे की सलाह देना और दोस्त को समझना।
अगर आपकी अपने बेस्ट फ्रेन्ड से लड़ाई हो जाए और आप उससे बोलना छोड़ दें तो आप बेस्ट फ्रेंड नही हो अगर आप सच्चे और पक्के मित्र हो तो अपनी गलती ना होते हुए भी उससे माफी मांग लो और बात करना शुरू करो आज नही तो कल उसे अपनी गलती का एहसास हो ही जाएगा कि वो कहा गलत था और आप कहा सही।
मुश्किल : हमारे सामने चाहे कितनी ही बड़ी मुश्किल क्यो ना आ जाए, हमे निराश नही होना चाहिए क्योंकि मुश्किलों का जीवन मे आना-जाना लगा ही रहता है इसलिए हमे उसके साथ और उसके विरुद्ध जीना सीख लेना चाहिए।
हमे कभी मुश्किल घड़ी मे हार नही माननी चाहिए, जितना हम निराशा का शिकार होंगे उतना ही मुश्किल बढ़ती जाएगी इसलिए उसका डरकर नही डटकर सामना करना ज़रूरी है।
प्रयास : अगर हम किसी भी काम मे असफल हो जाए तो हमे हिम्मत नही हारनी चाहिए, हमे फिर से प्रयास करना चाहिए चाहे हमे कितना भी असफलता का सामना करना पड़े, हमे उससे जूझने के जरिए और तरीके ढूढते रहना चाहिए और इसी नीती से हम एक-न-एक दिन कामयाब हो ही जाएंगे। क्योंकि कुछ मौके देर से आते हैं लेकिन दुरुस्त आते हैं।
बीमारी : एक बार बीमारी ने दौलत से कहा :- तुम कितनी खुश-नसीब हो कि तुम्हे पाकर लोग ऐशो-आराम से जिन्दगी बिताते हैं और मैं कितनी बद-नसीब हूं कि मुझे पाते ही लोग एक ही चारपाई पर पड़े रहते है, कोसते हैं, गालियाँ देते हैं।
ये सुन कर दौलत ने बीमारी से कहा :- खुश-नसीब तो तुम हो कि लोग तुम्हे पाकर खुदा को याद कर लेते हैं। और बद-नसीब तो मैं हूं कि मुझे पाकर लोग खुदा को भूल जाते हैं।
Parvez Saifi
Parvez Saifi
Wednesday, February 2, 2011
मेला
उत्तर प्रदेश में भी अनेक मेले लगते हैं- बूढ़े बाबू का मेला, गंगा मेला और नोचंदी का मेला आदि
इसमे गंगा स्नान का मेला सबसे महत्वपूर्ण है और गढ़ मुक्तेश्वर का मेला उत्तर प्रदेश का प्रमुख मेला है जो गाज़ियाबाद ज़िले मे लगता है ये मेला कार्तिक मास कि पूर्णिमा के दिन लगता है।
मेले का बाज़ार भी बड़ा लम्बा-चोड़ा लगा होता है जिसमे हलवाई और चाय वालों की दुकानों पर काफी भीड़ रहती है, कम्बल-दरी आदि भी बिक रहे होते हैं और मनोरंजन के साधन भी उप्लब्ध होते हैं।
रेडियो, लाउड-स्पीकर की ध्वनी भी मेले की रोनक बड़ा रही होती है। सबके चहरों पर खुशी ही खुशी नज़र आती है।
वहां जादूगर मेले मे अपना जादू दिखाता है, जहा बहुत सारे लोगों की भीड़ लगी होती है।
मेले मे लोग सर्कस देखते हैं और मेले में आसमानी चरख भी लगा हुआ होता है जिसमें सभी लोग झूलते हैं।
मेले में एक तरफ खिलोनों की दुकाने लगी होती है और दूसरी तरफ मनोरंजन के साधन, सभी बच्चे खिलोनों की दुकान से खिलोने खरीदते दिखाई देते है एसा लगता है जैसे आज सब घरों के बच्चे मिलकर कोई खेल, खेल रहे हों।
चरन सिंह .
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