Saturday, December 4, 2010

अब दीवारें सुनाएंगी कहानियां .

 

सुनने-सुनाने का एक अलग दोर शुरू हो चुका है , गली, मोहोल्लों  की दीवारों पर अपने आस-पास की कहानियों को दिलचस्पी से पढते हुए लोग. 
अब लगता है कि किस्से और कहानियां हम से होकर सबके बीच अपनी जगह बनाने की कोशिश में रहेंगी.


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