गली वो होती है जो कई घरों के बिच रास्ता बनाती है।
गली लम्बी हो या चौड़ी इससे फर्क नही पड़ता लेकिन गली अगर चौड़ी हो तो वो सड़क का रूप ले लेती है या लोग उसे गली कहते ही नही है। सड़क पर जो चहल-पहल होती है वो गलियों मे नही होती और जो रोनक गलियों मे की जा साकती है या होती है वो सड़क पर नही होती अकसर हम देखते हैं कि शादियों मे गलियों को ही सजाया जाता है क्योंकि सड़क के मुकाबले गली की जग-मगाहट देखने लायाक होती है।
गली का माहौल आस-पास से बनता है- सब घरों के बच्चे खेलते हैं, बाहर चबूतरों पर लड़के, लड़कियाँ, औरते बैठी रहती हैं अपने आज-कल की बातें करती हैं।
सड़क का माहौल दूरियों को समेट कर बनता है- अलग-अलग जगह के जाने-अनजाने लोगों से बनता है।
हमारी गली बहुत छोटी है कुल 6 घर हैं- 2 उलटे हाथ पर, 3 सीधे हाथ पर और एक बिलकुल सामने जिसके होने से गली बन्द हो गई है। बीच के बचे रास्ते को हम अपनी गली कहते है क्योंकि वहीं हम खेलते हैं, बाहर खड़े होते हैं और कहीं जाने के लिए भी वहीं इकट्ठा होते हैं।
हमारे घर के और सामने के घर के लोग अकसर अपनी-अपनी चौखट पर आकर बैठ जाते हैं और बातें करते हैं।
सड़क पर रातों को भी लोग चलते हुए दिख जाते हैं क्योंकि सड़क मंज़िल तक पहुचने का एक साधन है।
हमारी गली रात मे बिलकुल शांत हो जाती है कुत्ते भौंकते हैं लेकिन एसा लगता है जैसे उनके भौंकने से ही संन्नाटा और बड़ता जाता है।
ज़मीर
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